खटीमा 26 फरवरी 2025
जनपद के कुछ कृषकों एवं कृषक संगठनों द्वारा अवगत कराया गया है कि वर्ष 2024-25 के लिये अपनी खेती हेतु फसल चक नहीं अपना पाने के कारण वो मार्च 2025 तक अपने खेत में ग्रीष्म कालीन धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लेने की स्थिति में नहीं है जिसके क्रम में माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कृषक हित में इस प्रतिबन्ध के साथ अनुमति प्रदान करने हेतु निर्देशित किया गया है कि जो कृषक 31 मार्च 2025 तक वैकल्पिक फसल लगाने में असमर्थ हैं वे अपने निकटस्थ कार्यालय यथा कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय, खण्डविकास अधिकारी कार्यालय आदि के माध्यम से इस आशय का स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र देगें जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख होगा कि उनके द्वारा अगर मात्र धान की नर्सरी डाली गयी है तो उसका क्षेत्रफल क्या है एवं यदि ग्रीष्मकालीन धान की खेती की जा रही है तो कुल कितने क्षेत्रफल में खेती की जायेगी साथ ही घोषणा पत्र में यह भी इंगित करना आवश्यक होगा कि उनके द्वारा वर्ष 2025-26 से ग्रीष्म कालीन घान नहीं लगाया जायेगा तथा ग्रीष्म कालीन धान पर प्रतिबन्ध का पूर्ण पालन करते हुये प्रशासन को सहयोग प्रदान किया जायेगा।
माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कृषक हित में यह व्यवस्था केवल मात्र 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी जिससे 31 मार्च 2025 तक मटर लाही, सरसों की फसल के उपरान्त खाली होने वाले खेतों में कृषक ग्रीष्म कालीन धान लगा सकेंगे। गेहूँ की कटाई के उपरान्त खाली होने वाले खेतों में किसी भी दशा में ग्रीष्म कालीन धान लगाने की अनुमति नहीं होगी। अतः 01 अप्रैल 2025 के बाद एवं 01 जून 2025 के मध्य धान रोपाई कार्य पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित रहेगा जिसका पालन करना जनपद के समस्त कृषकों के लिये अनिवार्य होगा। 01 अप्रैल 2025 के बाद एवं 30 अप्रैल 2025 तक धान की नर्सरी लगाना या होना पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित रहेगा। यदि जनपद के किसी भी क्षेत्र में 01 अप्रैल 2025 से 30 अप्रैल 2025 तक धान की नर्सरी होने या लगाये जाने की सूचना प्राप्त होगी तो उसे नष्ट कर दिया जायेगा। समस्त कृषकों से अनुरोध है कि वे अपनी खेती एवं पर्यावरण को बचाने सम्बन्धी महत्वपूर्ण कार्य में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।जो कृषक माह मार्च 2025 में ग्रीष्म कालीन धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लगाना चाहते हैं वह साइलेज हेतु मक्का की फसल लगा सकते हैं जो 60-65 दिन में बिक्री हेतु तैयार हो जायेगी। इसके अतिरिक्त अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे गन्ना, उड़द, मृग, सूरजमुखी आदि भी कृषकों द्वारा लगायी जा सकती है। माननीय मुख्यमंत्री से कृषक संगठनों के पदाधिकारियों ने उनके आवास नगला तराई में मुलाकात कर ग्रीष्म कालीन धन न लगाने का आश्वासन दिया।

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