जसपुर।आठ साल पुराने धोखाधड़ी के एक मामले मे अदालत ने आरोपी को दोषमुक्त किया है।
वादी भूपेन्द्र सिंह ने 28 माई 2016 को जसपुर कोतवाली मे दर्ज कराई रिपोर्ट मे कहा था कि जसपुर स्थित गुरुकृपा फीलिंग स्टेशन पैट्रोल पम्प मनोज कुमार से दिनांक 14.07.2014 को अंकन 90 लाख रूपये में खरीदा था. जिसकी कुल रकम मनोज कुमार को सुरजीत सिंह व कश्मीर सिंह के सामने भुगतान कर दी गयी थी। रकम देने के बाद वादी ने मनोज कुमार से कहा कि इस पैट्रोल पम्प को वादी के नाम कर दो, लेकिन उसने पैट्रोल पम्प वादी के नाम नहीं किया और गदरपुर के भट्टे वाले हाजी फुरकान अली को बेच दिया, जब उसे पता चला तो छोड़कर चला गया। उसके बाद मनोज ने यह पैट्रोल पम्प आसिफ, मेरठ टायर वाले काशीपुर को बेच दिया। जब वादी ने अपना पेमेन्ट मांगा तो उपरोक्त ने अपने हस्तलेख में राहुल के नाम से अंकन 4 लाख रूपये का चैक दिया, जिसका भुगतान वादी को एच०डी०एफ०सी० बैंक से हो गया। मनोज ने तीन चैक एक्सिस बैंक के चैक सं० 408641 दिनांक 07.08.2015 अंकन 10 लाख रूपये, चैक सं0 408643 दिनांक 17.09.2015 अंकन 10 लाख रूपये व चैक सं० 408642 दिनांक 15.09.2015 अंकन 11 लाख रूपये किसी कौशल के नाम के दिये, जिनपर हस्तलेख मनोज का है। चैक सं0 408641 को बैंक ने यह कहते हुए भुगतान करने से इंकार कर दिया कि ड्रायर सिग्नेचर डिफरेन्ट हैं। मनोज ने 90 लाख रूपये में से मात्र चार लाख रूपये दिये हैं। तीन में से एक चैक बाउन्स हुआ, बाकी 86 लाख रूपये को वादी,के मोबाईल पर अपने मोबाईल से मैसेज करता रहता है तथा चैकों को अपने स्वीकारते हुए कहता रहता है। विकय पत्र वादी के नाम किये बिना वादी को भुगतान किये दूसरे तीसरे को बेच दिया। कूटरचना करते हुए अपने हस्तलेख में विभिन्न नामों से चैक दिये। बाउन्स एक्सिस बैंक चैक पर स्वयं मनोज कुमार होते दीवानी हुए कौशल किशोर के नाम से हस्ताक्षर किये। विक्रय पत्र, चैक सभी पर हस्तलेख एक ही व्यक्ति का है। चाहे वह मनोज हो या राहुल कुमार हो या कौशल हो। इस तरह कथित मनोज ने वादी के नगर प्राथ धोखाधडी बेईमानी, अमानत में ख्यानत व कूटरचना की। पैसे मांगने पर गाली गलौच की जान से मारने की धमकी दी। तमंचा लेकर वादी को मारने के लिए पीछे भागा और आतंकित किया। विक्रय पत्र में गवाह के रूप में जिस सुरजीत का नाम लिखा है, वह मनोज उपरोक्त के साथ गाड़ी में अवैध हथियारों के साथ थाना जसपुर पुलिस द्वारा गिरफतार किया जा चुका है।
आठ वर्ष तक चलीं न्यायिक प्रकिया के तहत अभियोजन पक्ष की और से दस गवाह पेश किये गये।परन्तु अभियोजन पक्ष अदालत में आरोपी को दोषी सिद्ध करने में नाकाम रहा। जब कि बचाव पक्ष के वक़ील राजीव कुमार, व नरेंद्र यादव की दलीलो से सहमत होकर न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज राणा ने संदेह का लाभ देते हुये आरोपी मनोज को दोष मुक्त किया।
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