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आंख खुली तो देखा मरा पड़ा था साथी, मजदूरों की रोंगटे खड़े करने वाली दास्तां

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उत्तराखंड के चमोली में आए बर्फीले तूफान ने 8 मजदूरों की जिंदगियां लील लीं। माणा गांव में शुक्रवार को आए बर्फीले तूफान में 54 मजदूर फंस गए थे। बचाव दल ने 4 मजदूरों के शव बरामद किए गए, जबकि 50 को अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें से 4 मजदूरों की मौत हो गई। अस्पताल में भर्ती मजदूरों की दास्तां रोंगटे खड़े कर देने वाली है।सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के मजदूर जगबीर सिंह ने बताया कि जब उन्हें होश आया तो देखा कि उनका एक साथी बगल में मरा पड़ा था और चारों तरफ बर्फ की सफेद अंतहीन चादर दिखाई दे रही थी। जगबीर के मुताबिक, हिमस्खलन के कारण उसका एक पैर टूट गया और उसके सिर में गंभीर चोट आई थी।

जगबीर को कुछ दूरी पर एक होटल दिखाई दिया और उसने उसी में शरण लेकर करीब 25 घंटे का भयावह समय गुजारा। होटल में जगबीर ने प्यास बुझाने के लिए बर्फ खाई और वह अपने एक दर्जन से भी अधिक साथियों के साथ एक ही कंबल में हाड़ कंपा देने वाली ठंड से जूझता रहा।

पंजाब के अमृतसर के रहने वाले जगबीर ने बताया कि जिस समय हिमस्खलन हुआ और बर्फ ने उसे उसके साथियों के साथ कई मीटर नीचे धकेल दिया, उस समय वह बीआरओ के शिविर में अपने कंटेनर में सो रहा था।जगबीर ने कहा, “हम जिस कंटेनर में थे, वह नीचे लुढ़कने लगा। जब तक हम यह समझ पाते कि क्या हुआ है, मैंने देखा कि हमारे एक साथी की मौत हो गई है और मेरा एक पैर टूट गया है। मेरे सिर में भी चोट लगी थी। वहां हर तरफ बर्फ का ढेर था।जगबीर ने बताया कि वह और उसके कुछ साथी किसी तरह से भारी कदमों से धीरे-धीरे चलते हुए कुछ दूरी पर स्थित एक होटल में पहुंचे और वहां आश्रय लिया। उसने कहा, “हमें 25 घंटे बाद बाहर निकाला गया और इस दौरान हम 14-15 लोगों के पास ओढ़ने के लिए केवल एक कंबल था। जब हमें प्यास लगी, तो हमने बर्फ खाई।रात में कंटेनर में रह रहे बीआरओ के 54 मजदूर 28 फरवरी को उत्तराखंड के पहाड़ी चमोली जिले के माणा गांव में हुए हिमस्खलन में फंस गए थे। इनमें से 50 मजदूरों को सेना समेत कई एजेंसियों द्वारा चलाए गए बचाव अभियान के दौरान सुरक्षित निकाल लिया गया। चार मजदूरों की अस्पताल में मौत हो गई जबकि 4 अन्य की लाश बर्फ से बरामद की गई। हिमस्खलन के कारण घायल मजदूरों को ज्योतिर्मठ के सैन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अपनी भयावह आपबीती सुनाई।