उधम सिंह नगर, उत्तराखंड
जसपुर। फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी पाने वाले सहायक शिक्षक को न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज सिंह राणा की अदालत ने तीन वर्ष के साधारण कारावास और एक हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
उप शिक्षाधिकारी आसाराम चौधरी ने अदालत में दिए बयान में कहा कि वह बीआरसी कार्यालय में वर्ष 2010 से कार्यरत हैं। दिसंबर 2000 में पैतृक गांव रहमापुर, हाल निवासी जसपुर के मोहल्ला गुजरातीयान के हरगोविंद सिंह की राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामजीवनपुर में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति हुई थी। सितंबर 2017 में उनके द्वारा सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के प्रमाणपत्रों के सत्यापन के संबंध में पत्राचार किया गया था।जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से भी जिले में कार्यरत 12 शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच एसआईटी से कराई गई थी। जांच में सहायक अध्यापक हरगोविंद सिंह के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। नौ जुलाई 2018 को प्रभारी जिला शिक्षाधिकारी ने सहायक अध्यापक हरगोविंद सिंह और अन्य शिक्षकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश दिए थे जिस पर हरगोविंद सिंह के खिलाफ कुंडा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज सिंह राणा ने हरगोविंद सिंह को तीन वर्ष के साधारण कारावास और एक हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
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