,खटीमा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 1 सितंबर 1994 को शहीद हुए आंदोलनकारियों के 30 वी शहादत दिवस पर खटीमा में मुख्य चौराहे के पास स्थित शहीद स्थल पहुचकर शहीदो की मूर्तियों का माल्यर्पण कर श्रंद्धाजलि अर्पित की और शहीदों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
सीएम धामी ने कहा कि आज आज हम उत्तराखंड की नींव रखने वाले उन महान आंदोलनकारी व शहीदों को याद कर रहे हैं जिन्होंने राज्य निर्माण के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। शहीद आंदोलनकारियों ने बहनों की राखियों, मां की ममता को छोड़कर राज्य निर्माण में सर्वाेच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि हमारे बेहतर भविष्य के लिये इन महान आतात्माओं ने अपना वर्तमान और भविष्य दोनों कुर्बान कर दिए, उत्तराखण्ड की जनता इन वीरों की आजन्म ऋणी रहेगी , जिनकी शहादत के परिणाम स्वरुप हमारे इस राज्य का गठन हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें यह याद करने की आवश्यकता है कि आखिर क्यों इन महान लोगों ने राज्य निर्माण के लिए स्वयं का बलिदान दिया।उन्होंने कहा कि इन महान लोगों ने स्वयं का बलिदान इसीलिए दिया कि उन्हें लगता था कि उत्तराखंड अलग राज्य बनकर ही सच्चे अर्थाे में उनके सपनों को पूरा कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्वयं एक आंदोलनकारी होने के नाते आंदोलनकारियों के परिवार की पीड़ा समझ सकता हूं। खटीमा गोलीकांड को याद कर आज भी खटीमा वासियों सहित पूरे उत्तरखण्ड के लोगों का दिल सहम जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के लिए सबसे पहली शहादत खटीमा की धरती पर दी गई थी और इस शहादत के फलस्वरूप हम पृथक राज्य के रूप में अपनी अलग पहचान बना पाएं हैं, जो खटीमावासियों के लिए गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नई कार्य संस्कृति को लागू किया है। उन्होंने कहा हमारा एक-एक पल राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए है और हम देवभूमि के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास की धारा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया है, जिसमे योग्यता, प्रतिभा और क्षमता होगी, उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए दिन रात काम कर रही है। हमने राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ाने के साथ ही 10 प्रतिशत आरक्षण क्षतिज दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारी के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि आज का दिन उन महान लोगों को याद करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने दिन है, जिन्होंने उत्तराखंड को एक अलग राज्य बनाने के आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने कहा कि खटीमा गोली कांड की 30वीं बरसी पर मैं, आज के दिन बलिदान होने वाले उत्तराखंड के महान सपूत स्व. भगवान सिंह सिरौला जी, स्व. प्रताप सिंह जी, स्व. रामपाल जी, स्व. सलीम अहमद जी, स्व. गोपीचंद जी, स्व. धर्मानन्द भट्ट जी और स्व. परमजीत सिंह जी को कोटि-कोटि नमन करता हूँ। उन्होंने कहा कि 1 सितंबर, 1994 को घटित हुए वीभत्स खटीमा गोली कांड का दर्द हम कभी नहीं भूल सकते, लेकिन हमें यह भी याद रखना है कि आखिर क्यों लोगों ने अपना बलिदान राज्य निर्माण के लिए किया? भाईयो-बहनो, इन महान लोगों ने अपना बलिदान केवल और केवल इसीलिए किया क्योंकि वो उत्तराखंड का सुनहरा भविष्य चाहते थे, वो उत्तराखंड का विकास और उत्थान चाहते थे। इस बात को भली-भांति समझते थे कि उत्तराखंड अलग राज्य बनकर ही सच्चे अर्थों में उनके सपनों को पूरा कर सकता है। बलिदान और उनके त्याग को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सभी मिलकर उनके सपनों का उत्तराखंड बनाएं। पृथक राज्य के रूप में उत्तराखंड को लेकर जो उनकी सोच थी, जो उनकी इच्छाएं थी, उनको पूरा करना हम सभी का परम कर्तव्य है।
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