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जसपुर :रेंजर की लापरवाही से लकड़ी तस्करी के आरोपी की रिमांड हो गई खारिज

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अभियुक्त को रिहा कर कोर्ट ने डीएफओ को दिए वन क्षेत्राधिकारी पर विभागीय कार्रवाई के आदेश

मेहर आलम, व्यूरो चीफ़
जसपुर। लकड़ी तस्करी के एक अभियुक्त को गिरफ्तारी के 35 घंटे बाद विधि विरुद्ध कोर्ट में पेश करने का मामला सामने आया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियुक्त को रिहा कर उसकी रिमांड खारिज कर दी। मामले में कोर्ट ने डीएफओ को वन क्षेत्राधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

पतरामपुर दक्षिणी रेंज के रेंजर धर्मानंद सोनाल ने बीती 31 मार्च की रात साढ़े 11 बजे ऋषिपाल सिंह को खैर की लकड़ी की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्होंने उसे बुधवार को वन दरोगा शाहिद हुसैन के माध्यम से कोर्ट में पेश किया। 24 घंटे में जांच पूरी न होने का हवाला देकर रेंजर (जांच अधिकारी) ने एक अप्रैल को अभियुक्त की कोर्ट से 14 दिन की रिमांड मांगी। अभियुक्त के अधिवक्ता दिग्विजय सिंह व राजीव कुमार ने रिमांड का विरोध करते हुए कहा कि केस में जांच अधिकारी ने उनके मुल्जिम को धारा-58 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत 24 घंटे में प्रस्तुत न कर गिरफ्तारी के 35 घंटे बाद पेश किया है। इस कारण अभियुक्त की अभिरक्षा को अवैध माना जाए।

यह सुनते ही न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज सिंह राणा ने मामले से जुड़ी पत्रावली का अवलोकन किया। अभियुक्त की गिरफ्तारी एवं उसे कोर्ट में 24 घंटे के अंदर प्रस्तुत न करने के अनिवार्य एवं मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति न होने के कारण जांच अधिकारी के रिमांड प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

अभियुक्त को रिहा कर मामले में रेंजर (जांच अधिकारी) की लापरवाह को देखते हुए तराई पश्चिमी वन प्रभाग, रामनगर, नैनीताल के डीएफओ को पत्र भेजकर रेंजर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए। आदेश के बाद कोर्ट परिसर में पूरे दिन मामला चर्चा का विषय बना रहा।

बीमार हाथी के कारण हुई देरी : सोनाल

रेंजर धर्मानंद सोनाल ने बताया कि 31 मार्च को सूचना पर वन विभाग की टीम ने भोगपुर गांव निवासी जोगा सिंह के घर छापा मारा था। टीम को यहां खैर की लकड़ी के छह गिल्टे बरामद हुए थे, जो तस्करी के लिए घर में जमा किए गए थे। मौके से ऋषिपाल सिंह को गिरफ्तार दो मोटरसाइकिलों को जब्त किया था, जबकि अन्य आरोपी जोगा सिंह एवं सोनी भागने में कामयाब हो गए थे। कोर्ट की कार्रवाई पर उन्होंने बताया कि ग्राम कृपाचार्यपुर में बीमार हाथी वाले मामले में लगे हुए थे। इस कारण आरोपी को पेश करने में देर हुई।